news-details

महासमुंद लोकसभा : कौन किस पर भारी, क्या इस बार रूपकुमारी की पारी !

लोकसभा निर्वाचन 2024 के लिए महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में दूसरे चरण पर 26 अप्रैल को मतदान किये जायेंगे। निर्वाचन के लिए प्रत्याशी नामांकन की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है।

इस बार जहां बीजेपी ने महासमुंद क्षेत्र के लिए महिला उम्मीदवार पर भरोषा जताते हुए रूपकुमारी चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है। तो वहीं कांग्रेस ने ताम्रध्वज साहू को अपना प्रत्याशी बनाया है।

इतिहास की बात करें तो आजादी के बाद से अब तक हुए चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस का अधिक दबदबा नजर आता है लेकिन पिछले तीन चुनाव लागातार जीतकर बीजेपी, जीत की हैट्रिक लगा चुकी है। जिसके कारण बीजेपी अधिक मजबूत स्थिति में दिखाई देती है। इसके अलावा क्षेत्र में मोदी लहर नाही प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता के समय कम हुई और ना ही अब.... क्षेत्र में मोदी की गारंटी पर लोग भरपुर भरोसा करते नजर आ रहे हैं। जिसके चलते महासमुंद लोकसभा में रूपकुमारी चौधरी का पलड़ा ताम्रध्वज साहू पर अधिक भारी पड़ रहा है।

रूपकुमारी चौधरी के राजनैतिक कार्यक्षेत्र की बात करें तो पूर्व में बसना विधायक और छत्तीसगढ़ शासन में संसदीय सचिव रह चुकी हैं। बसना विधायक का कार्यकाल समाप्त होने के बाद बीजेपी ने इन्हें महासमुंद जिले का जिलाध्यक्ष बनाया जिसके बाद वो लागातार क्षेत्र में सक्रिय रहीं। हाल ही में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में ऐसा माना जा रहा था कि रूपकुमारी बसना विधानसभा से भाजपा की प्रत्याशी होंगी.. लेकिन शायद पार्टी ने उन्हें पहले से ही लोकसभा चुनाव में उतारने का मन बना लिया था।

बसना विधायक रहने के दौरान रूपकुमारी चौधरी लोगों के बीच अपने जनसंपर्क को लेकर हमेशा चर्चा में रही। जिसके चलते उन्हें बीजेपी ने उन्हें अपना स्टार प्रचारक भी बनाया। महासमुंद जिले की राजनीति में लगातार सक्रिय रहने के चलते पार्टी ने इस बार रूपकुमारी चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया, जिसका फायदा उन्हें जरूर मिलेगा।

वहीं कांग्रेस पार्टी बात करें तो विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर होने के बाद कार्यकर्ताओं में आपसी मतभेद देखने को मिल रहा है। कुछ कार्यकर्ता महासमुंद जिले से बाहर का प्रत्याशी बनाये जाने के कारण इसका विरोध कर रहे हैं । जिसका नुक्सान पार्टी को उठाना पड़ सकता है।

कांग्रेस प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू की बात करें तो इन्हें राजनीति का कहीं लम्बा अनुभव है, ताम्रध्वज साहू चार मर्तबा विधानसभा तो एक बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। लेकिन विगत हुए विधानसभा चुनाव में मंत्री रहे जाने के बावजूद इन्हें हार का सामना करना पड़ा।

इन सब से हटकर यदि बात की जाए लोगों को भारतीय जनता पार्टी के अंदर एक लक्ष्य दिखाई देता है । चाहे बात अखण्ड भारत की हो, 370 की हो, राम मंदिर की हो विकास की हो... जिसमे पहले लोगों के लिए शौचालय बनवाना, पक्के मकान बनवाना, गैस कनेक्शन उपलब्ध कराना, और हर घर मे शुद्ध जल पहुंचना।

जबकि कांग्रेस पार्टी के अंदर ऐसा कोई लक्ष्य नजर नही आता जो लोगों को लम्बे समय तक संगठित करें। किसान अपने फसल का उचित मूल्य तो चाहता ही है, इसके साथ वह विकास भी चाहता है.. चाहता है कि गांव में सड़कें बनें.. स्कूल बने... पानी की पर्याप्त सुविधा हो ..यही कारण है कि आज कांग्रेस द्वारा 1 लाख रुपये सालाना महिलाओं को देने की बात कहने पर भी लोगों का भरोसा मोदी पर बरकरार है। भले ही कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार रहने के दौरान गोबर खरीदें हो.. बेरोजगारी भत्ता दिया हो.. लेकिन ये योजना लोगों का भरोसा जीतने में कायम नही रही।




अन्य सम्बंधित खबरें